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Microfinance

Microfinance: A Lifeline for Rural and Small-Town Communities

सोचिए, किसी गाँव में कुछमहिलाएँ मिलकर छोटा सा दूधका बिज़नेस शुरू करना चाहतीहैं, लेकिन पैसे की कमीउनके सपनों के बीच मेंआ जाती है। ऐसेमें माइक्रोफाइनेंस उनके लिए उम्मीदकी किरण बनकर आताहै। माइक्रोफाइनेंस का मकसद हैछोटे और गरीब उद्यमियोंको बिना किसी बड़ीगारंटी के लोन देना, जिससे वे अपना कारोबारबढ़ा सकें। 

कैसेकाम करता है माइक्रोफाइनेंस? 
भारतमें माइक्रोफाइनेंस की शुरुआत सेल्फहेल्प ग्रुप (SHG) से हुई थी, लेकिन अब इसका ज़्यादातरहिस्सा जॉइंट लायबिलिटी ग्रुप (JLG) मॉडल पर चलताहै। इसमें 4 से 10 लोगों का एक समूहबनता है, जो मिलकरलोन लेते हैं औरमिलकर ही उसकी गारंटीदेते हैं। ये लोनइन्हें मिलते हैं— 

  • प्राइवेट सेक्टर के कमर्शियल बैंकों से 
  • स्मॉल फाइनेंस बैंकों (SFBs) से 
  • NBFC-MFI (माइक्रोफाइनेंस कंपनियाँ) से 
  • गैर-लाभकारी संगठनों (NGOs) से 

भारतमें पहला MFI 1996 में शुरू हुआ।पहले ये काम ज़्यादातरगैर-लाभकारी संस्थाएँ करती थीं, लेकिनअब इसमें कई लाभकारी NBFC-MFI कंपनियाँ भी आ चुकीहैं, जो इसे एकसंगठित और तेज़ गतिवाला क्षेत्र बना रही हैं। 

माइक्रोफाइनेंससिर्फ पैसे देना भर नहीं है, इसमें उधार लेने वालेकी सामाजिक स्थिति और जरूरतों कोसमझकर लोन दिया जाताहै। पहले ये सुविधाफील्ड अफसरों के ज़रिए दीजाती थी, लेकिन अबडिजिटल बैंकिंग और मोबाइल पेमेंट्सने इसको और आसानबना दिया है। 

माइक्रोफाइनेंसपर सरकारी नियम 
रिज़र्वबैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने माइक्रोफाइनेंस कोरेगुलेट करने के लिएकई सख्त नियम बनाएहैं— 

  • 1999-2000  में बैंकों को माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को लोन देने की छूट दी गई और इसे प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग में शामिल किया गया। 
  • 2011  में NBFC-MFI के लिए रेगुलेशन लाया गया। 2022 तक, इनका बाजार में 30% हिस्सा हो गया था। 
  • 2022  में RBI ने नए नियम लाकर माइक्रोफाइनेंस लोन के लिए सालाना ₹3 लाख तक की इनकम लिमिट तय की और यह सुनिश्चित किया कि उधारी चुकाने का बोझ बहुत ज्यादा न हो। 
  • 2023  में RBI ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में MFI पर लगी पाबंदी हटा दी, जिससे इन राज्यों में भी फिर से छोटे कर्ज़ दिए जा सकें। 
  • माइक्रोफाइनेंस मास्टर डायरेक्शन 2022 के तहत, उधार देने वाली कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि लोन सही तरीके से और वाजिब ब्याज दरों पर दिया जाए। 

RBI यहभी देखता है कि कोई NBFC-MFI अत्यधिक ऊँचे ब्याज दरों पर लोन न दे, ताकि गरीबों काशोषण न हो। 

P2P लोन: सीधे निवेशक से पैसा 
अब ज़रा सोचिए, एकछोटा बिज़नेसमैन अपने स्टार्टअप केलिए लोन चाहता है, लेकिन बैंक उसे लोनदेने से मना करदेता है। ऐसे मेंP2P लोन उसका काम आसानकर सकता है। P2P लोनसिस्टम में कोई बैंकनहीं होता, बल्कि आम लोग हीनिवेशक (लेंडर) बनकर उधार देनेका काम करते हैं। 

कैसेकाम करता है P2P लोन? 
P2P लोनएक डिजिटल प्लेटफॉर्म के ज़रिए चलताहै, जहाँ उधार लेनेवाले और देने वालेलोग आपस में जुड़तेहैं। 

  • बिचौलिया नहीं होता: बैंक की बजाय उधार देने वाले सीधे उधार लेने वालों को पैसा देते हैं। 
  • जोखिम के हिसाब से ब्याज दर: उधार लेने वाले की साख (क्रेडिट स्कोर) के हिसाब से ब्याज दर तय की जाती है। 
  • एक लोन, कई निवेशक: एक उधार लेने वाले को कई लोग मिलकर लोन देते हैं, जिससे किसी एक निवेशक का जोखिम कम होता है। 
  • ऑनलाइन ट्रांजैक्शन: सारा लेन-देन RBI द्वारा बनाए गए एस्क्रो अकाउंट के ज़रिए होता है। 

P2P लोनखासतौर पर छोटे बिज़नेस (MSME), नए स्टार्टअप और ऐसे लोगों के लिए फायदेमंद है जिनका बैंकिंग रिकॉर्ड अच्छा नहीं है। 

P2P लोनपर सरकारी नियम 
RBI ने P2P लोन को रेगुलेट करनेके लिए 2017 में कई कड़े नियमबनाए— 

  • हर P2P लोन प्लेटफॉर्म को NBFC-P2P के रूप में रजिस्टर करना ज़रूरी है। 
  • हर प्लेटफॉर्म के पास कम से कम ₹2 करोड़ की नेट ओन्ड फंड होनी चाहिए। 

    लोन पर कैपिंग: 
  • कोई भी लेंडर ₹10 लाख से ज्यादा निवेश नहीं कर सकता। 
  • कोई भी उधार लेने वाला ₹10 लाख से ज्यादा लोन नहीं ले सकता। 
  • एक लेंडर किसी एक उधार लेने वाले को ₹50,000 से ज्यादा नहीं दे सकता। 
  • लोन की अधिकतम अवधि 36 महीने तय की गई है। 
  • P2P कंपनियों को ट्रांसपेरेंसी के नियमों का पालन करना होगा और अपने प्लेटफॉर्म पर क्रेडिट असेसमेंट, डेटा प्रोटेक्शन, और शिकायत निवारण प्रणाली की पूरी जानकारी देनी होगी। 
  • RBI यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि कोई कंपनी गलत दावे (जैसे गारंटीड रिटर्न) करके निवेशकों को लुभाने की कोशिश न करे। 

माइक्रोफाइनेंसबनाम P2P लोन: कौन सा बेहतर? 
दोनोंमॉडल भारत में वित्तीयसमावेशन (Financial Inclusion) कोबढ़ावा दे रहे हैं, लेकिन इनकी रणनीति अलग-अलग है— 
माइक्रोफाइनेंसज्यादा ग्रामीण और छोटे समूहों पर केंद्रित है, जहाँ लोग आपसी गारंटीदेकर लोन लेते हैं। 
P2P लोन ज्यादाशहरी और डिजिटल है, जहाँ लोनजल्दी और लचीले नियमोंके साथ मिलता है। 
 
माइक्रोफाइनेंस दशकों से विकसित हो रहा है, जबकि P2P लोन एक नया और तेज़ी से बढ़ता सेक्टर है। 
भविष्यमें ये दोनों मॉडलमिलकर भारत में उधारीव्यवस्था को और मजबूतबना सकते हैं। अबसवाल ये है—क्या P2P लोन माइक्रोफाइनेंस को पीछे छोड़ देगा, या दोनों मिलकर भारत के आर्थिक विकास में नई क्रांति लाएँगे? अपनी राय हमेंबताइए! 

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